Tuesday 21 February 2017

Vikram Betal Pachisi fifteenth story In Hindi - क्या चोरी की गयी चीज़ पर चोर का अधिकार होता है:

Vikram Betal Pachisi fifteenth story In HindiVikram Betal Pachisi fifteenth story In Hindi


नेपाल देश में शिवपुरी नामक नगर मे यशकेतु नामक राजा राज करता था। उसके चन्द्रप्रभा नाम की रानी और शशिप्रभा नाम की लड़की थी।

जब राजकुमारी बड़ी हुई तो एक दिन वसन्त उत्सव देखने बाग़ में गयी। वहाँ एक ब्राह्मण का लड़का आया हुआ था। दोनों ने एक-दूसरे को देखा और प्रेम करने लगे। इसी बीच एक पागल हाथी वहाँ दौड़ता हुआ आया। ब्राह्मण का लड़का राजकुमारी को उठाकर दूर ले गया और हाथी से बचा दिया। शशिप्रभा महल में चली गयी; पर ब्राह्मण के लड़के के लिए व्याकुल रहने लगी।


उधर ब्राह्मण के लड़के की भी बुरी दशा थी। वह एक सिद्धगुरू के पास पहुँचा और अपनी इच्छा बतायी। उसने एक योग-गुटिका अपने मुँह में रखकर ब्राह्मण का रूप बना लिया और एक गुटिका ब्राह्मण के लड़के के मुँह में रखकर उसे सुन्दर लड़की बना दिया। राजा के पास जाकर कहा, "मेरा एक ही बेटा है। उसके लिए मैं इस लड़की को लाया था; पर लड़का न जाने कहाँ चला गया। आप इसे यहाँ रख ले। मैं लड़के को ढूँढ़ने जाता हूँ। मिल जाने पर इसे ले जाऊँगा।"

सिद्धगुरु चला गया और लड़की के भेस में ब्राह्मण का लड़का राजकुमार के पास रहने लगा। धीरे-धीरे दोनों में बड़ा प्रेम हो गया। एक दिन राजकुमारी ने कहा, "मेरा दिल बड़ा दुखी रहता है। एक ब्राह्मण के लड़के ने पागल हाथी से मरे प्राण बचाये थे। मेरा मन उसी में रमा है।"

इतना सुनकर उसने गुटिका मुँह से निकाल ली और ब्राह्मण-कुमार बन गया। राजकुमार उसे देखकर बहुत प्रसन्न हुई। तबसे वह रात को रोज़ गुटिका निकालकर लड़का बन जाता, दिन में लड़की बना रहता। दोनों ने चुपचाप विवाह कर लिया।

कुछ दिन बाद राजा के साले की कन्या मृगांकदत्ता का विवाह दीवान के बेटे के साथ होना तय हुआ। राजकुमारी अपने कन्या-रूपधार ब्राह्मणकुमार के साथ वहाँ गयी। संयोग से दीवान का पुत्र उस बनावटी कन्या पर रीझ गया। विवाह होने पर वह मृगांकदत्ता को घर तो ले गया; लेकिन उसका हृदय उस कन्या के लिए व्याकुल रहने लगा उसकी यह दशा देखकर दीवान बहुत हैरान हुआ। उसने राजा को समाचार भेजा। राजा आया। उसके सामने सवाल थ कि धरोहर के रूप में रखी हुई कन्या को वह कैसे दे दे? दूसरी ओर यह मुश्किल कि न दे तो दीवान का लड़का मर जाये।

बहुत सोच-विचार के बाद राजा ने दोनों का विवाह कर दिया। बनावटी कन्या ने यह शर्त रखी कि चूँकि वह दूसरे के लिए लायी गयी थी, इसलिए उसका यह पति छ: महीने तक यात्रा करेगा, तब वह उससे बात करेगी। दीवान के लड़के ने यह शर्त मान ली।

विवाह के बाद वह उसे मृगांकदत्ता के पास छोड़ तीर्थ-यात्रा चला गया। उसके जाने पर दोनों आनन्द से रहने लगे। ब्राह्मणकुमार रात में आदमी बन जाता और दिन में कन्या बना रहता।

जब छ: महीने बीतने को आये तो वह एक दिन मृगांकदत्ता को लेकर भाग गया।

उधर सिद्धगुरु एक दिन अपने मित्र शशि को युवा पुत्र बनाकर राजा के पास लाया और उस कन्या को माँगा। शाप के डर के मारे राजा ने कहा, "वह कन्या तो जाने कहाँ चली गयी। आप मेरी कन्या से इसका विवाह कर दें।"

वह राजी हो गया और राजकुमारी का विवाह शशि के साथ कर दिया। घर आने पर ब्राह्मणकुमार ने कहा, "यह राजकुमारी मेरी स्त्री है। मैंने इससे गंधर्व-रीति से विवाह किया है।"

शशि ने कहा, "यह मेरी स्त्री है, क्योंकि मैंने सबके सामने विधि-पूर्वक ब्याह किया है।"

बेताल ने पूछा, "शशि दोनों में से किस की पत्नी है?"

राजा ने कहा, "मेरी राय में वह शशि की पत्नी है, क्योंकि राजा ने सबके सामने विधिपूर्वक विवाह किया था। ब्राह्मणकुमार ने तो चोरी से ब्याह किया था। चोरी की चीज़ पर चोर का अधिकार नहीं होता।"

इतना सुनना था कि बेताल गायब हो गया और राजा को जाकर फिर उसे लाना पड़ा। रास्ते में बेताल ने फिर एक कहानी सुनायी।


No comments:

Post a Comment